रमज़ान के पवित्र महीने में सऊदी अरबिया ने मस्जिदों के अंदर इफ्तार पर रोक लगा दी है|

सऊदी अरब ने आने वाले रमज़ान की तैयारियों के लिए मस्जिदों के अंदर इफ्तार करने पर रोक लगा दी है। रमज़ान, इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है और इसे दुनिया भर के मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह मुसलमानों के लिए उपवास, प्रार्थना, चिंतन और आपसी जुड़ाव का समय होता है। पवित्र रमज़ान का महीना 10 मार्च से शुरू होकर 9 अप्रैल तक चलेगा।

रमज़ान के दौरान, मुसलमान सुबह से सूरज ढलने तक उपवास रखते हैं, और खाने-पीने से दूर रहते हैं। हर शाम इफ्तार नामक भोजन के साथ यह रोजा खोला जाता है, जिसे अक्सर परिवार और दोस्तों के साथ मिल-बाँटकर खाया जाता है।

सऊदी अरब का कहना है कि रोज़ा खोलने के बाद पैदा होने वाली गंदगी की वजह से मस्जिदों में साफ-सफाई बनाए रखने में परेशानी होती है। इसी वजह से उन्होंने यह पाबंदी लगाई है।

20 फरवरी, 2024 को इस्लामिक मामलात (Islamic Affairs Ministry) द्वारा जारी किए गए एक नोटिस के अनुसार, सऊदी अरब की सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि “मस्जिदों की साफ-सफाई बनाए रखने के लिए इफ्तार का आयोजन मस्जिदों के अंदर नहीं किया जाना चाहिए।”

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किए गए इस नोटिस में लिखा है कि “मंत्रालय-ए-इस्लामी मामलात, दावत और इर्शाद (Ministry of Islamic Affairs, Dawah and Guidance) ने रमज़ान 1445 हिजरी के पवित्र महीने के दौरान मस्जिदों से जुड़े कई निर्देश जारी किए हैं।”

इसके अलावा, आदेश में यह भी कहा गया है कि इमाम और मुएज्जिन मस्जिदों के आंगन में “उचित जगह” पर इफ्तार का आयोजन करें। इस उद्देश्य के लिए अस्थायी कमरे या टेंट बनाने पर रोक लगा दी गई है।

नोटिस में कहा गया है कि “इस उद्देश्य के लिए कोई अस्थायी कमरे या टेंट नहीं बनाए जाने चाहिए।”

आदेश में आगे कहा गया है कि “इमाम और मुएज्जिन की जिम्मेदारी होगी कि इफ्तार का आयोजन हो, और रोजा खोलने वाले व्यक्ति की यह जिम्मेदारी होगी कि खाना खाने के बाद वह जगह को साफ कर दें।”

मंत्रालय ने यह भी निर्देश दिया है कि मस्जिद के अधिकारी इफ्तार पार्टियों के लिए चंदा इकट्ठा न करें। आदेश में लिखा है, “सऊदी अरब के विभिन्न क्षेत्रों में इमाम और मुएज्जिन रोज़ा रखने वालों और अन्य लोगों के लिए इफ्तार पार्टियों के लिए चंदा इकट्ठा नहीं करेंगे।”

मस्जिद परिसर में कैमरों और फोटोग्राफी के इस्तेमाल को भी हतोत्साहित किया जाता है। साथ ही, किसी भी मीडिया प्लेटफॉर्म पर, ऑनलाइन सहित, नमाज़ का प्रसारण करने की अनुमति नहीं है।

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