Ramadan 2024: रमज़ान व रोज़े से जुडी सभी जानकारी |

Ramadan 2024 : रोज़ा इस्लाम का चौथा स्तंभ और इबादत का एक ज़रूरी हिस्सा ( फर्ज़ ) है । अल्लाह पाक ने कुरान मजीद की दूसरी सूरत में रोज़े का ज़िक्र किया है:

“ऐ इमान वालों! तुम्हारे लिए रोज़ा रखना फ़र्ज़ किया गया है जैसा कि तुमसे पहले वालों के लिए फ़र्ज़ किया गया था, ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ” [अल-बक़रा 2:183] {[Al-Baqarah 2:183]}

इस्लाम में रोज़े का अर्थ है सुबह से सूर्यास्त तक खाने-पीने (या किसी भी अनैतिक गतिविधियों) से परहेज करना। रोज़े का दिन सुबह-सुबह भोजन ( सेहरी ) से शुरू होता है और शाम में सूरज ढलते वक़्त भोजन करने ( इफ्तार ) के साथ समाप्त होता है।

रोज़े की अवधि

रोज़े की अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि आप दुनिया के किस हिस्से में रहते हैं, क्योंकि दुनिया भर में दिन के उजाले की संख्या अलग-अलग होती है। यूके में, रमज़ान 2024 में एक उपवास का दिन लगभग 14 घंटे का होगा। और भारत में यह 13 घंटे का होगा |

Ramadan 2024

रमज़ान में खाने और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर उपयोगी सुझाव

जब सेहरी और इफ्तार के लिए खाना तैयार करने की बात आती है तो हमें बुद्धिमानी से चयन करने की आवश्यकता है। परंपरागत रूप से, बहुत से समुदाय इफ्तार के लिए समोसा या अन्य तले हुए स्नैक्स तैयार करते हैं। हालाँकि रमज़ान के इस हिस्से का आनंद लेना ठीक है, खासकर जब बच्चों को उपवास करने के लिए प्रेरित करने की बात आती है, तो हमें दिन के दौरान अपनी देनिक दिनचर्या में मदद करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा संग्रहित करने की आवश्यकता होती है।

हमारे शरीर को सुस्ती या पानी की कमी महसूस किए बिना पूरा दिन गुजारने के लिए स्वस्थ और पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है। फाइबर और कम प्रोटीन से भरपूर भोजन हमें पूरे दिन सक्रिय रहने में मदद करता है और इसमें ताजे फल, सब्जियां, अंडे और मछली शामिल हैं। दाल, चावल और साबुत आटे की रोटी भी स्वस्थ भोजन बनाती है और इसे स्वादिष्ट भोजन व्यंजनों के लिए आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।

सुन्नत आहार में खजूर की पुष्टि की जाती है और यह रमज़ान के दौरान भोजन का एक अविभाज्य हिस्सा है। तरबूज उन लोगों के बीच भी बेहद लोकप्रिय विकल्प है जो व्रत रखते हैं, क्योंकि फाइबर का एक अच्छा स्रोत होने के अलावा, इसमें हमें अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखने के लिए 90% पानी होता है।

चाय और कॉफी के शोकीन के लिए रोज़े की तेयारी

जो लोग चाय और कॉफी पसंद करते हैं वे दिन भर कैफीन के सेवन के बिना कैसे जीवित रह सकते हैं, इसके कुछ चतुर सुझावों से लाभ उठा सकते हैं। कुछ लोग इस संबंध में दूध छुड़ाने की प्रक्रिया का उल्लेख करते हैं, जिसका अर्थ है कि रमज़ान से पहले के कुछ हफ्तों में धीरे-धीरे हम प्रतिदिन पीने वाले मग की संख्या को कम कर दें। यह हमारे शरीर को आसान और बेहतर तरीके से समायोजित करने में मदद करता है।

रोज़े में बीमारों के लिए विशेष छूट

इसी तरह, अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अस्थमा इन्हेलर और अन्य दवाएं सेहरी में लेनी चाहिए। किसी बीमारी के मामले में जिसके लिए दिन के दौरान दवा या भोजन/पानी के सेवन की आवश्यकता होती है, व्यक्ति को रोज़ा छोड़ने और बाद में इसकी भरपाई करने की अनुमति है।

रमज़ान शुरू होने से पहले अपने डॉक्टर और इमाम से सलाह लेना याद रखें, ताकि आपके पास आवश्यक जानकारी हो। गंभीर कमजोरी, बुढ़ापे या किसी स्थायी बीमारी के मामले में जो किसी व्यक्ति को रोज़ा रखने से रोकती है, फिदया दी जा सकती है।

रोज़ा रखने के नियम

पूजा के सभी कार्यों की तरह, रोज़ा रखने के भी कुछ नियम हैं जिनका रोज़े को वैध बनाने के लिए पालन करना आवश्यक है। सबसे पहले, हमें रोज़ा शुरू करने से पहले उसका इरादा करना होगा। कुछ विद्वानों के अनुसार, रमज़ान के रोज़ों के लिए, महीने की शुरुआत में किया गया इरादा ही काफी होगा।

पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा: “जो कोई सुबह होने से पहले रोज़ा रखने का इरादा नहीं रखता, उसके लिए कोई रोज़ा नहीं है।” (अल-तिर्मिज़ी द्वारा वर्णित, 730){  (Narrated by al-Tirmidhi, 730)}

कुछ विद्वानों के अनुसार, प्रत्येक रोज़े की शुरुआत के लिए कोई विशेष दुआ नहीं होती है; इसके बजाय, केवल दिल में इरादा रखना ही काफी है। लेकिन कुछ सूत्र रोज़े से पहले निम्नलिखित दुआ पढ़ने की सलाह देते हैं:

रोज़ा रखने की दुआ (Roza Rakhne ki Duaa)

वा बिसावमी घदिन्न नवैयतु मिन शहरी रमज़ान। (Wa bisawmi ghadinn nawaiytu min shahri ramadan.)

وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ
-[अबू दाऊद]

रोज़े की दुआ का तर्मेजुमा : मेंरा इरादा कल रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने का है।

Roza Rakhne ki Duaa - रोज़ा रखने की दुआ

जब अर्धचंद्र दिखाई देता है:

अल्लाहुम्मा अहिलाहु अलयना बिल-अम्नी वल-ईमान वस-सलामती वल-इस्लाम। रब्बी वा रब्बुका अल्लाह.

तर्जुमा : ऐ अल्लाह इस का आगाज़ अमन और ईमान, सलामती और इस्लाम से भरपूर बना | मेरा और तुम्हारा रब अल्लाह है|

रोज़ा इफ्तार करने की दुआ (Roza iftar krne ki duaa)

अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु वा बिका आमंन्तु वा ‘ आलइका तवक्कलतु वा ‘ अला रिज़की का अफ्तरतु | (  Allahhumma inni laka sumtu wa bika aamantu wa alayka tawakkaltu wa ala rizq- ika aftartu” )

In Arabic : اَللّٰهُمَّ اِنَّی لَکَ صُمْتُ وَبِکَ اٰمَنْتُ وَعَلَيْکَ تَوَکَّلْتُ وَعَلٰی رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ.

तर्जुमा : ऐअल्लाह! मैंने आपके लिए उपवास किया है और मैं आप पर विश्वास करता हूं और मैंने आप पर भरोसा किया है और मैं आपके भोजन से अपना रोज़ा खोलता हूं।

रोज़ा इफ्तार करने की दुआ (Roza iftar krne ki duaa)

नियम : कुछ अन्य नियमों में रोज़े के बीच खाने, पीने और जोड़ों के अंतरंगता पर प्रतिबंध शामिल है। रोज़ा रखने वाले व्यक्ति को मौखिक दुर्व्यवहार, गाली-गलौज या लड़ाई में शामिल होने से भी मना किया जाता है।

लोगों के एक समूह के साथ अपना रोज़ा खोलने की दुआ।

अफ़्तारा इंदाकुम अस-साइमून, वा अकला तआमाकुम अल-अबरार, वा सल्लत अलैकुम अल-मलाईकाह। (aftara indakum as-saa’imoon, wa akala ta’aamakum al-abraar, wa sallat alaikum al-malaa’ikah.)

أفطر عندكم الصائمون , وأكل طعامكم الأبرار , وصلت عليكم الملائكة
-[इब्न माजाह]

वह चीज़े जिससे रोज़ा टूट जाता है :

विद्वानों के अनुसार, निम्नलिखित मामले रोज़े को अमान्य (मकरू ) करते हैं या वह चीज़े जिससे रोज़ा टूट जाता है |

खाना या पीना,

  • संभोग,
  • हस्तमैथुन,
  • कपिंग के माध्यम से रक्त प्रवाहित करना,
  • जानबूझकर उल्टी करना,
  • मासिक धर्म का खून और प्रसवोत्तर रक्तस्राव।

क्या दांत मांझने से रोज़ा टूट जाता है ?

रोज़े के दौरान टूथब्रश का उपयोग करना, या स्नान करना, इत्र का उपयोग करना और झपकी लेना या सोना जायज़ है।

किन लोगो का रोज़ा रखना ज़रूरी नही है :

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें रोजा रखने से छूट होती है जिसमे :

  • बीमारी,
  • यात्रा,
  • गर्भावस्था
  • स्तनपान,
  • मासिक धर्म
  • प्रसव के बाद रक्तस्राव,
  • अत्यधिक बुढ़ापा और युद्ध,
  • अकाल आदि के मामलों में तीव्र भूख और प्यास लगना जैसी स्थितियां शामिल हैं।

जो लोग बाद में रोज़ा रख सकते हैं उन्हें ऐसा करना चाहिए। रमज़ान के बाद अगले रमज़ान तक जब भी संभव हो। लेकिन चल रही बीमारी, अत्यधिक बुढ़ापे और इसी तरह की बीमारियों वाले लोगों को फ़िद्या अदा करने की अनुमति है।

Dua Shab-e-Qadr – शब् क़द्र और उसकी की अहमीयत (Laylat ul Qadr)

इफ्तार से पहले की दुआ ( Roza kholne se pehle ki Duaa)


अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो-अलै-व-सल्लम फरमाते हैं कि रोजेदार की दुआ इफ्तार के वक्त रद्द नहीं होती, लहजा इफ्तार के वक्त ये दुआ पढ़े। दुआ पढ़ने से पहले और आखिर में दरूद शरीफ जरूर पढ़े।

(1)ऐ अल्लाह हमारी ज़ुबान पर कलमाये तय्यब हमेशा जारी रखना नसीब फरमा ।

(2) ऐ अल्लाह पाक हमे कामिल ईमान नसीब फरमा और पूरी हिदायत अता फरमा.

(3) ऐ अल्लाह हमें पाक रमज़ान की नियामत अनवर व बरकत से मालामाल फरमा।

(4) या अल्लाह पाक हम पर अपनी रहमत नाज़िल फरमा, करम की बारिश फरमा और हमे रिज़िक ए हलाल अता फरमा।

(5) ऐ अल्लाह पाक हमें दीन इस्लाम के अहकाम पर मुकम्मल तौर पर अमल करने वाला बना दे।

(6) या अल्लाह तू हमें अपना मोहताज बना, किसी गैर का मोहताज न बना।

(7) ऐ अल्लाह हमें नमाज़ का, रोज़ो का पाबंद बना और लयलतुल कदर नसीब फरमा।

(8) ऐ अल्लाह तू हमे झूठ, गिबत, कीना, बुराई, झगड़ा, फसाद और सारी बुराइयों से दूर रख।

(9) या अल्लाह हमें तंगदस्ती, ख़ौफ, घबराहट, और करज़ के बोझ से दूर फरमा।

(10) ऐ अल्लाह हमारे छोटे बड़े (सगीरा व कबीरा) तमाम गुनाह को माफ फरमा दे ।

(11)या अल्लाह हमें दज्जाल के फ़ितने, और शैतान और नफ़्स के शर से महफ़ूज़ रख।

(12) ऐ अल्लाह औरतों को परदे की पूरी पूरी पबन्दी करने की तौफीक अता फरमा।

(13) ऐ अल्लाह हर छोटे बड़ी बीमारी से हमे और कुल मोमिनीन वा मोमिनत को महफूज़ रख।

(14)ऐ अल्लाह हमें हुज़ूर अकदस मोहम्मद सल्लल्लाह-अलै-व-सल्लम के प्यारे तारीख़े पर कायम रख।

(15)ऐ अल्लाह हमे हुज़ूर अकदस मोहम्मद सल्लल्लाह-अलै-व-सल्लम की सुन्नत पर चलने की तौफीक अता फरमा.

(16)या अल्लाह पाक हमें हुज़ूर अकदस मोहम्मद सल्लल्लाह-अलै-व-सल्लम के हाथों से जाम ए कौसर पीना नसीब फरमा.

(17)ऐ अल्लाह हमें हुज़ूर अकदस मोहम्मद सल्लल्लाह-अलै-व-सल्लम की शफ़ाअत नसीब फ़रमा.

(18)ऐ अल्लाह तू अपनी और हमारे नबी सल्लल्लाहो-अलाए-व-सल्लम की मोहब्बत हमारे दिलो में डाल दे।

(19)या अल्लाह पाक हमे मौत की ताकत और कब्र के अज़ाब से बच्चा।
(20)ऐ अल्लाह मुनकिर नकीर के सवालत हम पर असां फरमा।

(21)ऐ अल्लाह हमें कयामत के दिन अपना दीदार नसीब फरमा.

(22)ऐ अल्लाह हमे जन्नतुल फिरदौस माई जहां अता फरमा.

(23) ऐ अल्लाह हमें कयामत के दिन कयामत की गर्मी और जहन्नम के आग से महेफ़ुज़ रख।

(24)ऐ अल्लाह पाक हमे और तमाम मोमिनीन व मोमिनात को हश्र की रुस्वइयो से बचा.

(25)ऐ अल्लाह हमारे नाम-ए-अमल दाहिने हाथ में नसीब फरमा.

(26)ऐ अल्लाह हमें अपने अर्श के साये माई जगह नसीब फरमा.

(27)या अल्लाह पुल सीरत पर बिजली की तरह गुजारने की तौफीक अता फरमा।

(28) ऐ अल्लाह हमे दोनो जहानो माई रसूल ए पाक सल्लल्लाह-अलै-व-सल्लम का गुलाम बनकर रख. ….[आमीन-आमीन-आमीन]