Dua Shab e Qadr : लैलतुल क़द्र, जिसे सबसे अहम रात के रूप में भी जाना जाता है, इस्लामी कैलेंडर में सबसे पाक और सबसे अहम रातों में से एक है। यह रमज़ान के आखिरी दस दिनों में आती है, जिसकी पुख्ता तारीख नामालूम है, और माना जाता है कि यह वह रात है जब कुरान पाक नबी करीम मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर नाजिल हुआ था।
यह रात बरकत और गुनाहों से मगफिरत की रात होती है | इस रात में जो बंदा सच्चे दिल से अपने गुनाहों की तोबा मांगता है अल्लाह पाक उसके गुनाहों को माफ़ कर देते हैं इसलिए लैलतुल क़द्र की रातो की बहुत अहमीयत है |
लैलतुल क़द्र की अहमियत (Laylat-ul-Qadr importance)
लैलतुल क़द्र की अहमियत खुद कुरान पाक में है | कुरान पाक की आयत सुरह अल-क़द्र (97:1-5) {Surah Al-Qadr (97:1-5),} में लैलतुल क़द्र की अहमीयत का ज़िक्र है , जिसमें कहा गया है कि यह रात एक हजार महीनों से बेहतर है और इस रात को फरिश्ते सलामती और बरकत के साथ सुबह तक ज़मीन पर उतारे जाते हैं हैं।
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अजर और सवाब में इज़ाफा
इस रात में किए गए नेक अमाल को हज़ार गुना बढ़ा दिया जाता है जिससे यह अल्लाह की रज़ा और बक्शीश हासिल करने का बेहतरीन मौका है | लैलतुल क़द्र की अहमियत इसलिए भी है क्यूंकि इसमें एक नेकी के बदले हजारो गुना सवाब मिलता है | इसलिए लैलतुल क़द्र में हमे शिद्दत से अल्लाह की इबादत करनी चाहिए और अपने गुनाहों की तौबा करनी चाहिए |
तकदीर का हुक्म
इस्लामी किताबो के मुताबिक , आने वाले साल के लिए इन्सान की तक़दीर का फैसला इस दिन किया जाता है | इस दिन गुनाहों का हिसाब होता है तो हमे ये कोशिश करनी चाहिए की इस रात हम खूब इबादत करें और अल्लाह पाक से अपने गुनाहों की तौबा कर लें | लैलतुल क़द्र की राते अल्लाह को राज़ी करने की रात होती हैं |
लैलतुल क़द्र पर क्या पढ़ें: (Dua Shab e Qadr)
लैलतुल क़द्र के लिए कोई ख़ास “दुआ” साबित नहीं है। हालाँकि, मुसलमानों को रात भर इबादत और दुआओं के मुग्तालिफ़ अक्साम में मसरूफ होने की नसीहत दी जाती है | इस रात में हमे अल्लाह को राज़ी करना होता है उसके लिए हम कुरान की तिलावत करें , नमाज़े पढ़ें , नेक काम करें और अपने गुनाहों से हमेशा के लिए तौबा करें | जि
तरावीह की नमाज़:
ये खसुसी रात की नमाज़े रमज़ान का एक बुनियादी हिस्सा है और दुओं और गौर औ फ़िक्र का एक मौका हमे देती है | हमे अपने आप समझने का एक मौका है ताकि हम जाने हमसे जाने अनजाने में क्या गुनाह और अल्लाह की नाफ़रमानी हो रही है और केसे हम उन गुनाहों से बच कर अल्लाह के नेक बन्दों में शामिल हो सकते है |
कुरान की तिलावत करना:
कुरान की आयतों को पढ़ने और उन पर गोर करने को बहुत अहमीयत दी जाती है , खास कर सूरह अल-क़द्र जो की कुरान मजीद की 97 वी सुरत है {Surah Al-Qadr (97:1-5),} और बक्शीश और रहमत से जुडी दूसरी आयत ।
सुन्नत से दुआ:
इस रात के लिए सुन्नत से कई प्रामाणिक दुआएं की जाती है। ऐसी ही एक दुआ है:अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफ्वा फ़अ’फु अन्नी जिसका मतलब है,” ए अल्लाह ! बेशक तू माफ़ करने वाला है, माफ़ करने को पसंद करता है तो मुझे भी माफ़ फरमा दे |
शब ए क़द्र की दुआ हिंदी में
अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफ्वा फ़अ’फु अन्नी ( اللَّهُمَّ إِنَّكَ عَفُوٌّ كَرِيمٌ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّي )
शब ए क़द्र की दुआ ( Shab E Qadr ki Dua )
اللَّهُمَّ إِنَّكَ عَفُوٌّ كَرِيمٌ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّي
शबे क़द्र की दुआ तर्जुमा के साथ
अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफ्वा फ़अ’फु अन्नी (ए अल्लाह ! बेशक तू माफ़ करने वाला है, माफ़ करने को पसंद करता है तो मुझे भी माफ़ फरमा दे )
माफ़ी मांगना:
यह रात अपनी कमियों के बारे में सोचने और अल्लाह से ईमानदारी से माफ़ी मांगने का एक बेहतरीन समय है। अल्लाह से माफ़ी इस शर्त पर मांगी जाये की वो गुनाह दुबारा नही किया जायेगा और सच्ची तौबा मांगनी चाहिए |
दान और अच्छे कर्म:
अपने नेकियो को बढ़ाने के लिए इस रात ज़कात और रहमदिली के कार्य करने को अत्यधिक प्रोत्साहित किया जाता है।
शब ए क़द्र की रातो में जागते रहना क्या ज़रूरी है :
हालांकि या ज़रूरी नहीं है, कई मुसलमान इबादत में रात भर जागने की कोशिश करते हैं। यह इबादत करने का अपना तरीका है आप चाहे तो पूरी रात अल्लाह की इबादत कर सकते हैं उसको राज़ी कर सकते हैं |
एकांत: कुछ मुसलमान पूरी तरह से अपनी पूजा और अल्लाह के साथ संबंध पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एकांत में रात बिताना चुनते हैं।
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